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31 March के बाद कौन-सी Tax Regime चुनें? जानिए नई और पुरानी Regime का फर्क

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income tax regim

नए वित्तीय वर्ष से पहले टैक्स रेजीम चुनना होगा – जानिए कौन-सी रेजीम आपके लिए सही रहेगी

जैसे-जैसे 31 मार्च नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स रेजीम चुनने की चिंता सताने लगी है। दरअसल, 1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष 2025-26 शुरू हो जाएगा, जिसके साथ ही करदाताओं को पुरानी (Old) और नई (New) टैक्स रेजीम में से एक को चुनना होगा। दोनों रेजीम के अपने-अपने फायदे हैं, लेकिन सही विकल्प चुनने के लिए व्यक्ति की आय, कटौतियां और वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखना जरूरी है।

क्या है पुरानी टैक्स रेजीम का फायदा?


नई रेजीम के लागू होने से पहले पुरानी रेजीम ही विकल्प थी। इसमें करदाताओं को 70 से ज्यादा छूट और कटौतियां मिलती थीं, जिससे उनकी टैक्स देनदारी घट जाती है। सबसे लोकप्रिय कटौती धारा 80C के तहत मिलती है, जो 1.5 लाख रुपये तक की छूट देती है। इसके अलावा, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में कर्मचारी का योगदान, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) जैसी छूटें भी शामिल हैं। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर धारा 80D के तहत कटौती का लाभ भी मिलता है।

नई टैक्स रेजीम – कम कटौती, सरल प्रक्रिया
वहीं, नई टैक्स रेजीम को सरल और कागजी कार्रवाई रहित बनाया गया है। केंद्रीय बजट 2025 में टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। इसके तहत 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह सीमा 12.75 लाख रुपये तक हो जाती है। नई रेजीम में एनपीएस में एम्पलॉयर का योगदान, स्टैंडर्ड डिडक्शन और रिटायरमेंट पर मिलने वाली ग्रेच्युटी टैक्स फ्री है।

किसे चुनें – पुरानी या नई रेजीम?

old tax regim and new tax regim


SBI जनरल इंश्योरेंस के चीफ प्रोडक्ट और मार्केटिंग ऑफिसर सुब्रमण्यम ब्रह्माजोस्युला के अनुसार, नई रेजीम में कम कटौतियों के साथ कम टैक्स देना पड़ता है। जबकि, पुरानी रेजीम उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास ज्यादा निवेश और छूट दिखाने के विकल्प हैं।

आसान शब्दों में कहें तो, यदि आपकी आय ज्यादा है और आप निवेश और छूट का लाभ उठाना चाहते हैं, तो पुरानी रेजीम बेहतर है। वहीं, यदि आप कम कटौती के साथ कम टैक्स देना चाहते हैं और पेपरवर्क से बचना चाहते हैं, तो नई रेजीम आपके लिए सही हो सकती है। टैक्स रेजीम का चयन आपकी वित्तीय स्थिति, निवेश और बचत के हिसाब से करना ही समझदारी होगी।