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Pets are best: थकान और Dementia को बोलें बाय-बाय

Dementia जो अक्सर बढ़ती उम्र में लोगों को अपना शिकार बनाती है।

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Dementia | Pets is best

दौड़ती-भागती दुनिया में सब कुछ बिखरने सा लगा है और रिश्ते की पकड़ कमजोर पड़ रही है। ऐसे में लोगों की लाइफस्टाइल (Lifestyle) भी तेजी से बदलती जा रही है। इसकी वजह से लोग कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। Dementia इन्हीं में से एक है जो अक्सर बढ़ती उम्र में लोगों को अपना शिकार बनाती है। हालांकि हाल ही में हुए एक स्टडी (Study) में यह सामने आया कि अगर आप एक डॉग ऑनर (Dog Owner) हैं तो डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है।

pets are best: thakaan aur dementia ko door bhagaega dogee | Dementia

वफादार ही नहीं सेहत का रखवार भी

क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो अपने पालतु खासकरके डॉगी को देखते ही अपनी दिनभर भी थकान भूल जाते हैं। पेट्स हमारे लाइफ का एक बेहद अहम और खूबसूरत हिस्सा होता है। यही वजह है कि लोग उन्हें इतना प्यार देते हैं कि वह उनके परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। आपको प्यार देने के साथ ही पेट्स खासकर डॉग्स आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचा सकते हैं। इन दिनों काम के बढ़ते प्रेशर की वजह से लोग कई तरह की दिमागी समस्याओं का शिकार बन रहे हैं।

पेट्स दिलाएंगे डिमेंशिया (Dementia) से निजात

दरअसल, हाल ही में सामने आई एक नई स्टडी में यह पता चला कि अगर आप एक पेट पेरेंट हैं, तो आपको 65 साल तक के लोगों में डिमेंशिया खतरा 40% तक कम हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे डॉग्स डिमेंशिया के खतरे को कम करते हैं।

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टेंशन अब Not Mention

लंबे समय तक तनाव डिमेंशिया (Dementia) के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है। ऐसे में कुत्ते तनाव (Stress) कम कर आपको डिमेंशिया ने बचाने में मदद करते हैं। अगर आपके पास एक पेट डॉग है, जो उनके साथ बातचीत करने से तनाव और चिंता के स्तर में कमी आती है। डॉग को प्यार से सहलाने से ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) रिलीज होता है, जो तनाव कम करने से जुड़ा एक हार्मोन है।

फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activity) में सहयोगी

पेट्स डॉग (Pets Dog) को एक्टिव रहने के लिए रोजाना वॉक और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। ऐसे में उनके साथ जब आप भी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, तो इससे आपके दिल की सेहत में सुधार होता है और डिमेंशिया से जुड़े जोखिम कारक कम होते हैं। नियमित एक्सरसाइज से कॉग्नेटिव फंक्शन बेहतर होता है और कॉग्नेटिव डिसऑर्डर (Comprehensive Disorder) के विकसित होने का खतरा कम होता है।

दिमाग को रखे दुरूस्त

डॉग्स के साथ रहने से आपकी दिनचर्या भी व्यवस्थित और तय रहती है। इसकी वजह से आपकी लाइफस्टाइल (liकाफी फिक्स रहती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को फायदेमंद हो सकता है। एक तय दिनचर्या को फॉलो करने से तनाव के स्तर को कम करने में मदद करती है।

सोशल कनेक्टिविटी (Social Connectivity) का साधन

डॉग्स एक सोशल एनिमल है और उनका साथ आपको अकेलेपन और अलग होने की भावनाओं का सामना करने में मदद करता है। अपने कॉग्नेटिव फंक्शन को बनाए रखने के लिए सामाजिक जुड़ाव जरूरी है और डॉग्स रखने से सामाजिक संपर्क बढ़ता है और एक अलग पहचान बनती है।

एक दूसरे का देखभाल

कुत्ते की देखभाल करने के लिए आपको प्रशिक्षण, खेल और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसी विभिन्न गतिविधियां करनी होती हैं। इससे आपका दिमाग ज्यादा एक्टिव और तेज बनता है और इस तरह आप डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकते हैं।