Connect with us

समाचार

ISRO Aditya L 1 Mission: आज फिर भारत ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास, आदित्य-L1 की सफलता पर पीएम मोदी ने दी बधाई

इसरो (ISRO) और भारत के लिए आज 6 जनवरी का दिन बेहद खास है। भारत फिर अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक छलांग लगाने जा रहा है। शनिवार की शाम करीब 4 बजे आदित्य एल1 लैग्रेंजियन प्वाइंट पर पहुंच सकता है।

Published

on

Aditya L1 Mission
Aditya L 1 Mission -Photo Credit- ISRO

Aditya L 1 Mission सफल हो गया है, इसरो (ISRO) ने इतिहास रच दिया है। सूर्य मिशन पर भेजा गया Aditya L 1 अपनी मंजिल पर पहुंच गया है। यहां अब यह लगभग 5 साल तक रहेगा। भारत फिर अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक छलांग लगाने में कामयाब हो चुका है। शनिवार की शाम करीब 4 बजे आदित्य एल1 लैग्रेंजियन प्वाइंट में दाखिल हो गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Aditya L 1 की कामयाबी पर बधाई दी है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इतिहास रच दिया है। NASA समेत दुनिया की कई देशों की स्पेस एजेंसी की का भी नजर है।

ISRO Aditya L 1 Mission: चंद्रयान -3 के बाद सूर्य को समझने की बारी

भारत के लिए 6 जनवरी 2024 का दिन इसलिए भी खास था क्योंकि अभी तक ऐसे बहुत कम देश हैं जो अपने मिशन को सूरज के करीब पहुंचाने में सफल हुआ हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए आज का दिन बेहद खास रहा क्योंकि सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ (Aditya L 1) यान धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर फाइनल ऑर्बिट में स्थापित होने जा रहा है। इसरो ने आदित्य-एल1 को अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित करने के लिए तत्पर था,जो सफलता का स्वाद चखाया है। इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक, 6 जनवरी को शाम करीब 4 बजे आदित्य एल1 (Aditya L 1) लैग्रेंजियन प्वाइंट पर पहुंचाने में सफल हो गया है।

READ ALSO: ISRO XPoSat Launching: नये साल 2024 में ISRO की नई उड़ान, Chandryan-3 के बाद XPoSat लॉन्च; अमेरिका के बाद दूसरा देश बना भारत

ISRO Aditya L 1 Mission: क्या है ‘हेलो’ कक्षा (Halo Orbit) ?

इसरो सूर्य की स्टडी के लिए ‘आदित्य एल1’ को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अंतिम गंतव्य एल-1 प्वाइंट पर स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के मुताबिक, अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 (Aditya L 1) पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल 1) पर पहुंचेगा, जिसे ‘हेलो’ कक्षा कहा जा रहा है।

Aditya L1 Mission
Aditya L1 Mission

ISRO Aditya L 1 Mission की चुनौती

इसरो अधिकारियों के अनुसार, अंतरिक्ष यान सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) के आसपास एक ‘हेलो’ कक्षा में आज शाम 4 बजे के करीब पहुंचेगा। ‘एल1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा। ‘हेलो’ कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी (three-dimensional) कक्षा है।

  • ”शनिवार शाम लगभग चार बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक ‘हेलो’ कक्षा में पहुंचा देगी। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा।” – ISRO (इसरो)

400 करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट

आदित्य-एल1 करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सैटेलाइट यान है, जिसका भार लगभग 1,500 किलोग्राम है। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर हेलो कक्षा में स्थापित होकर सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला के रूप में कार्य करेगा।

Aditya L 1ISRO Mission
Aditya L 1| ISRO Mission

 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से हुआ था लांच

इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। चार महीने के सफर में अंतरिक्ष यान विभिन्न चरणों से होकर गुजरा और पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बचकर, सूर्य-पृथ्वी ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (एल 1) की ओर बढ़ गया। ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

ISRO Aditya L 1 Mission Photo Credit- ISRO

आदित्य एल1 का लक्ष्य और उद्देश्य

अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।