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Ram Mandir Inauguration Ayodhya: राम ‘एक’ मायने अनेक; 22 जनवरी को जश्न और चुप्पी पर कब लगेगा विराम!
Ram Mandir Inauguration Ayodhya: राम एक मायने अनेक! जश्न और चुप्पी पर कब लगेगा विराम!

Ram Mandir Inauguration Ayodhya- विश्व प्रसिद्ध राम मंदिर का उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ लेकिन उस वक्त अयोध्या में जश्न और चुप्पी दोनों का माहौल देखने को मिला है। संपूर्ण अयोध्या अपनी पुरातन काल की छटा से सराबोर हुआ,चारो तरफ श्रीराम के गगनभेदी नारे ने भक्ति का अप्रतीम रस घोलने में कामयाब रहा, लेकिन दूसरी तरफ इस जश्न को निराशता भरी चुप्पी का एहसास भी कराया। यूं कहिए अयोध्या में दो तराने गूंजे एक जश्न का और एक चुप्पी का, दो रंग भी पसरे। आइए, जानते है वह उधेडबून वाले मसला क्या रहे?
Ram Mandir Inauguration Ayodhya: सुरक्षा के बीच जश्न की दावत
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर शहर में खुशनुमा माहौल की मौजूदगी ने देश ही नहीं विदेशों में खुशनुमा प्रभाव छोड़ा है। देश के अलग-अलग हिस्से से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे, सुरक्षा की चाकचौबद व्यवस्था के बीच अयोध्या की सीमाओं को बंद कर दिया गया। करीब 20,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं और 10,000 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए।

दर्शन के प्यासे नयना
सूत्रों की मानें तो 7,500 अतिथियों को निमंत्रण दिया गया, जिनमें जाने माने उद्योगपति, फिल्मी सितारे और राजनेता शामिल हैं। मंदिर अधिकारियों का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर को लोगों के लिए खोला जाएगा। उन्हें उम्मीद है कि रोजना तकरीबन 1,00,000 श्रद्धालु राम के दर्शन करने मंदिर आएंगे।
आधुनिक निर्माण से मिटे पुराने पहचान
कभी एक दूसरे पर चढ़ते मकानों और पुरानी दुकानों वाले अयोध्या का विस्तृत रूप परिवर्तन हो चुका है। संकरी सड़कों की चार लेन का चौड़ा रास्ता बन चुका है जो सीधे मंदिर तक ले जाता है। शहर को नया एयरपोर्ट मिला है। रेलवे स्टेशन का भी विस्तार किया गया है और कई बड़ी होटल कंपनियां यहां होटल भी बना रही हैं।
बोलती तस्वीर के दो रंग
अयोध्या के नवनिर्मित एयरपोर्ट पर भी मंदिर से जुड़े पोस्टर आने वालों का स्वागत कर रहे हैं। एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही शहर की तरफ जाने वाली सड़क के किनारे लगे बिजली के खम्भों पर आदमकद कटआउट सबका ध्यान खींचते रहे ‘एक हैं राम’ तो दूसरे ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी’।

राम एक मायने अनेक!
अयोध्या को पहुंचने वाले सभी रास्ते,पड़ोसी शहर या फिर मंदिर मार्ग की रौनक देखते बन रही है। शहर में जहां तक नजर जाती है वहां भगवा झंडे लहरा रहे हैं। बाजार को भी राम के नाम के मुनाफे में हिस्सा चाहिए। कंपनियों ने अपने प्रचार के लिए लगाए गए होर्डिंगों को भी ‘राम’ से जोड़ दिया है।
सियासी सरपट और चुप्पी की चाशनी
बीजेपी को उम्मीद है कि राम मंदिर के नाम पर जो माहौल बनाया गया है, उसका फायदा उसे आने वाले लोकसभा चुनावों में होगा और मोदी के नेतृत्व में पार्टी को लगातार तीसरी बार जीत हासिल होगी। कई लोगों का तो मानना है कि बीजेपी की जीत सुनिश्चित है, अब बस यह देखना है कि पार्टी 2019 में जीती गई 303 सीटों से ज्यादा जीत पाती है या नहीं।
दिलचस्प तो यह है कि देश के कई राज्यों में मंदिर को लेकर इस तरह का माहौल नहीं है और लगभग इन सभी राज्यों में बीजेपी अपनी चुनावी उपस्थिति बढ़ाने में संघर्ष कर रही है। शायद इसलिए बीते दिनों अयोध्या के समारोह से ठीक पहले मोदी ने दक्षिण भारत में ऐसे कई स्थानों की यात्रा की, जिनके रामायण से संबंधित होने की मान्यता है।
काग्रेस की करतूत का फायदा किसको?
इधर, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अयोध्या में समारोह में शामिल होने के न्योते को ठुकरा दिया, लेकिन उसकी उत्तर प्रदेश और हरियाणा इकाई के कई नेता समारोह से तीन दिन पहले ही अयोध्या गए और मंदिर के दर्शन किए। ऐसे में देखना होगा कि आने वाले लोकसभा चुनावों में मंदिर का मुद्दा बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के प्रदर्शन को किस तरह से प्रभावित करता है।