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Bihar Lok Sabha Election: बिहार में एक बार फिर बाहुबलियों की जंग, उदय या अस्त होगा भविष्य
Bihar Lok Sabha Election: बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का प्रभाव हमेशा से अच्छे से महसूस किया जाता रहा है। कुछ नेताओं ने अपनी पहचान बनाने के लिए रॉबिनहुड बनकर गरीबों के दिलों में बस गए हैं, जबकि कुछ ने अपनी बदनामी को पार करके राजनीति में कदम रखा। अब लोकसभा चुनाव 2024 में भी कई ऐसे बाहुबली नेता अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन क्या उन्हें यहाँ संघर्ष में कामयाबी मिलेगी, यह तो आने वाले 4 जून 2024 के चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
बिहार की सियासी तालिका में वीर महोबिया की प्रेरक कहानी को बहुत माना जाता है। उनकी सियासी राह में उन्होंने अपने दम पर ही साहसिक कदम बढ़ाया। वीरेन्द्र सिंह जिन्हें वीर महोबिया के नाम से भी जाना जाता है, ने 1980 में चुनाव लड़ा, लेकिन पांचवें स्थान पर ही रहे। 1985 में उन्होंने जनधाना से विधानसभा चुनाव जीता। वे सत्तर से अस्सी के दशक में विधानसभा में 25 से अधिक बाहुबली बन चुके थे।
Bihar Lok Sabha Election: 1980-85 के बाद बाहुबलियों ने मारी Politics में Entry
1980-85 के बाद, बिहार में बाहुबलियों का कद बढ़ने लगा और वे चुनावी मैदान में भाग लेने लगे। नब्बे के दशक में लोकसभा चुनाव में आधे दर्जन से अधिक बाहुबलियों की उपस्थिति दर्ज की गई। लेकिन वर्ष 2010 के बाद, इन बाहुबलियों का दबदबा कम होने लगा है।
आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में, कई बाहुबलियों ने अपनी किस्मत का सांचा निकाला है। पांच बार के सांसद पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय मैदान में हैं। वैशाली से बाहुबली मुन्ना शुक्ला राजद के टिकट पर लड़ रहे हैं। नवादा से बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनिता देवी और पूर्णिया से बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। सुरेन्द्र यादव जहानाबाद से राजद के प्रत्याशी हैं, जबकि शिवहर से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जेडीयू की प्रत्याशी हैं।
इन बाहुबलियों की प्रतिस्पर्धा से भरे चुनाव मैदान में, उन्हें अपनी पहचान बनाने और निर्दलीय चुनावों में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इन बाहुबलियों की जीत या हार, बिहार की सियासी दृष्टि को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आने वाले चुनाव परिणाम 4 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे, और उससे पता चलेगा कि ये बाहुबलियों की धाकड़ जंग किसके लिए फल देती है।
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Sushil Kumar Modi: राजीनीति का वह सितारा जिसने बिहार में बीजेपी को स्थापित करने में निभाई अहम् भूमिका
Sushil Kumar Modi, बिहार की राजनीती का एक बड़ा चेहरा बीजेपी के कदावर नेता जिन्होंने बिहार में बीजेपी को स्थापित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई आइये आज के लेख में हम सुशील मोदी से जुडी बातो को जानते है।
Sushil Kumar Modi की पारिवारिक पृष्टभूमि
सुशील कुमार मोदी जन्म ५ जनवरी १९५२ को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। पिता का नाम मोती लाल मोदी , माता का नाम रतना देवी था।
पत्नी ईसाई धर्म को मानने वाली है तथा पेशे से कालेज प्रोफेसर है, उनके दो बेटे है, एक का नाम उत्कर्ष तथागत और दुसरे का नाम अक्षय अमृतांशु है।
सुशील मोदी का राजीनीतिक सफर
सुशील कुमार मोदी के राजनितिक सफर की बात करे तो १९९० में वह सक्रिय राजनीती में शामिल हो गए थे और सफलतापूर्वक पटना केंद्रीय विधान सभा (जिसे अब कुम्हार विधान सभा निर्वाचन छेत्र के रूप में जाना जाता है ) से चुनाव लड़ा , १९९० में उन्हें फिर से निर्वाचित किया गया
था, १९९० में ही उन्हें भाजपा बिहार विधान सभा दाल का मुख्य सचेतक बनाया गया था। १९९६ से २००४ तक वह राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने पटना हाई कोर्ट में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जिसे बाद में चारा घोटाला के रूप में जाना गया था। २००४ में वह भागलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा के सदस्य बने। वह २००० में अलपकालिक नितीश कुमार की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे ,सुशिल ने झारखण्ड राज्य के गठन का समर्थन किया था।
2005 में सुशील कुमार बने थे उपमुख्यमंत्री
२००५ में Sushil Kumar Modi बिहार बीजेपी विधानमंडल पार्टी के नेता चुने गए। बाद में लोकसभा से इस्तीफा दे कर बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। कई अन्य विभागों के साथ उन्हें वित्त पोर्टफोलियो दिया गया यह। २०१० में बिहार चुनावो में एनडीए की जीत के बाद वह बिहार के उपमुख्यमंत्री बने रहे।
बिहार की राजनीती में करीब पांच दशक से अलग- अलग भूमिका निभाने वाले सुशील कुमार मोदी अंततः कैंसर से जंग हर गए और १६ मई दिन सोमवार को उन्होंने अंतिम साँस ली। सुशील कुमार मोदी का जाना ,बिहार की राजनितिक गलयारो में एक शून्य पैदा कर जाना है जिसे शायद ही कोई दोबारा भर सके।
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PM Modi share the post of Rashmika Mandanna: पीएम मोदी ने Animal की हीरोइन के पोस्ट को क्यों किया शेयर? पढ़ें क्या क्या लिखा
Pm Modi share the post of Rashmika Mandanna: पीएम नरेंद्र मोदी अक्सर किसी सेलेब्रिटी के वीडियो को Share करते हैं या उसके पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हैं. पीएम मोदी फिर एक बार एक फिल्म अभिनेत्री के पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है दरअसल. पीएम नरेंद्र मोदी ने फिल्म अभिनेत्री Rashmika Mandanna की एक Post पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
PM Narendra Modi ने Rashmika Mandanna के वीडियो पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा
पीएम नरेंद्र मोदी ने Rashmika Mandanna के वीडियो पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि लोगों को जोड़ने और उनके जीन को बेहतर बनाने से उन्हें संतुष्टि मिलती है. दरअसल, रश्मिका ने हाल ही में बने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पर एक वीडियो शूट किया और इसकी तारीफ की. इस हार्बर लिंक को अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु नाम दिया गया है. Rashmika Mandanna ने अटल सेतु की तारीफ करते हुए बताया कि जहां एक जगह-दूसरी जगह जाने में 2 घंटे लगते थे, अब 20 मिनट में पहुंच सकते हैं.
Rashmika Mandanna ने अपने वीडियो में यह कहा
Rashmika Mandanna ने ये भी कहा कि यह किसी समुद्र पर बना सबसे लंबा पुल है, जोकि 22 किलोमीटर का है. इसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था. उन्होंने इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार बताया. रश्मिका ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “दक्षिण भारत से उत्तर भारत… पश्चिम भारत से पूर्वी भारत… लोगों को जोड़ रहे हैं, दिलों को जोड़ रहे हैं! हैशटैग मेरा भारत.
Rashmika Mandanna की पोस्ट PM Modi ने शेयर की
Rashmika Mandanna के इसी Post को Share करते हुए PM Modi मोदी ने लिखा,”सही कहा! लोगों को जोड़ने और जीवन को बेहतर बनाने से ज्यादा संतोषजनक कुछ भी नहीं.” रश्मिका और पीएम मोदी के बीच हुआ यह इंटरेक्शन हुआ. अपने वीडियो में रश्मिका ने यह भी कहा, ”अटल सेतु ने भविष्य के दरवाजे पर इतनी जोरदार दस्तक दी है कि विकसित भारत के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं.
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Tejashwi Yadav Election Campaign: 30 दिन में 97 सभा: “हेलीकॉप्टर को ट्रैक्टर बनाकर ब्लॉके-ब्लॉक उतार रहे हैं”
Tejashwi Yadav Election Campaign: बिहार में लोकसभा चुनाव के महत्वपूर्ण मोड़ पर महागठबंधन के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने प्रचार में बड़ा दम दिखाया है। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बिहार के कई भागों में प्रचार रैलियों का आयोजन किया है। तेजस्वी यादव ने इस दौरान हेलिकॉप्टर को ट्रैक्टर बना दिया है और जनता के बीच अपना संदेश पहुंचाने का काम किया है।
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने एक चुनावी रैली में बताया कि उन्होंने सिर्फ 30 दिनों में 97 रैलियां की हैं। उनकी धुआंधार प्रचार और दिन-रात की मेहनत से उनके विरोधी भी चौंके हुए हैं। वे एक ही दिन में तीन से चार, और कभी-कभी 6-7 सभाओं को संबोधित कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने पूर्णिया से अपना चुनावी प्रचार शुरू किया और इसके बाद वे गया, जमुई, नवादा, बेगूसराय, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी, औरंगाबाद, खगड़िया, बांका, दरभंगा, उजियारपुर, वाल्मीकि नगर और अन्य कई स्थानों पर रैलियां की। इस दौरान तेजस्वी यादव का साथी और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी उनके साथ नजर आए।
बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में 1 मई तक वोटिंग होगी। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ, जिसमें तेजस्वी यादव ने 46 सभाओं को संबोधित किया। हाल ही में सहरसा जिले के सोनबरसा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने अपनी तैयार हेलिकॉप्टर को ट्रैक्टर बताते हुए कहा कि वे उसे भी चुनावी प्रचार के काम में लगा दिया हैं।
हालांकि, लगातार चुनावी जनसभाओं करते रहने से तेजस्वी यादव की तबियत भी बिगड़ने लगी है। अररिया के फारबिसगंज में चुनावी प्रचार के दौरान उन्हें कमर में दर्द होने की शिकायत हुई और उन्हें तुरंत मंच से कार में ले जाया गया।
विश्वास की जाती है कि तेजस्वी यादव द्वारा यह अद्वितीय प्रचार रणनीति महागठबंधन को चुनावी मैदान में एक मजबूत रूप देगी और उन्हें वोटर्स की ओर से बड़ा समर्थन प्राप्त होगा।
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