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India’s 1 st Indigenous MRI Machine:स्वदेशी MRI Machine से इलाज की लागत होगी सस्ती

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India’s First Indigenous MRI Machine:स्वदेशी MRI Machine से इलाज की लागत होगी सस्ती

India में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर क्षेत्र में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। खासकर, चिकित्सा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत ने हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे न केवल देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है, बल्कि नागरिकों को भी बेहतर और सस्ता इलाज मिल रहा है। इसी कड़ी में एक बड़ी और ऐतिहासिक खबर सामने आई है, जो Medical Technology के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को नई दिशा देगी।

India ने विकसित की अपनी पहली स्वदेशी MRI Machine

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भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। देश ने अपनी पहली स्वदेशी MRI Machine विकसित की है, जिसे अक्टूबर तक दिल्ली स्थित All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) में ट्रायल के लिए स्थापित किया जाएगा। यह स्वदेशी MRI Machine न केवल भारत की Medical Technology में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे इलाज की लागत भी सस्ती होगी। इस परियोजना के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (GoI_Meity) और SAMEER (Society for Applied Microwave Electronics Engineering and Research) के बीच साझेदारी की गई है।

स्वदेशी Medical उपकरणों के निर्माण में मददगार FMVL

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भारत में इस स्वदेशी MRI Machine का निर्माण फिशर मेडिकल वेंचर्स लिमिटेड (FMVL) द्वारा किया गया है। FMVL ने इस Machine को पूरी तरह से भारतीय तकनीक और संसाधनों के माध्यम से तैयार किया है। इस उपलब्धि के बाद, देश को आयातित चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, और इलाज की लागत भी घटेगी। इस स्वदेशी MRI Machine के निर्माण के साथ ही भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह अपनी Medical Technology में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा चुका है।

आयातित Medical डिवाइस पर निर्भरता कम होगी

दिल्ली के AIIMS ने बताया कि वर्तमान में देश में इस्तेमाल होने वाले अधिकांश चिकित्सा उपकरण आयात किए जाते हैं। लगभग 80-85% Medical डिवाइस देश में आयात होते हैं, जिसके कारण भारत का Medical उपकरणों पर आयात बिल 63,200 करोड़ रुपये से अधिक हो जाता है। स्वदेशी MRI Machine के निर्माण से यह आयात बिल घटने की संभावना है, और भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में लागत में भी कमी आएगी। इससे न केवल सरकारी अस्पतालों में इलाज सस्ता होगा, बल्कि निजी अस्पतालों में भी उपचार की लागत कम हो सकती है, जिससे आम नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं अधिक सस्ती और सुलभ मिल सकेंगी।

प्रधानमंत्री Modi का आत्मनिर्भर भारत अभियान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देश को अपनी जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिर्भर बनाना था। प्रधानमंत्री ने 12 मई 2020 को इस अभियान की शुरुआत की थी, और इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में विशेष आर्थिक पैकेज और योजनाएं बनाई गईं। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की गई, जिसमें देश के भीतर ही उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरणों के निर्माण को प्राथमिकता दी गई।

भारत में चिकित्सा उपकरणों का आयात बिल

भारत में आयातित चिकित्सा उपकरणों की बात करें तो देश का आयात बिल हर साल तेजी से बढ़ता जा रहा है। अभी तक, भारत में हर साल लगभग 63,200 करोड़ रुपये का Medical उपकरणों का आयात किया जाता है, जो कि एक बड़ी चिंता का विषय है। इस आयात बिल को कम करने और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। भारत के लिए यह एक बड़ा चुनौती थी, लेकिन अब स्वदेशी MRI Machine के निर्माण से यह साबित हो गया है कि भारतीय कंपनियां अपनी तकनीकी क्षमताओं को और बेहतर बना सकती हैं।

स्वदेशी निर्माण से होगा इलाज सस्ता

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स्वदेशी Medical उपकरणों का निर्माण न केवल देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि इससे इलाज की लागत में भी कमी आएगी। अब तक जो उपकरण विदेशों से आयात होते थे, उनकी कीमतें अधिक होने के कारण आम नागरिकों के लिए उपचार महंगा हो जाता था। अब, जब स्वदेशी मशीनों का निर्माण शुरू हो चुका है, तो इससे इलाज सस्ता होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह पहल भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि यह देश के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में भी मदद करेगी।

आगे का रास्ता

स्वदेशी तकनीक के निर्माण की दिशा में भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। आने वाले समय में, भारत को अन्य Medical उपकरणों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी होगी। इससे न केवल देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी, बल्कि देश के नागरिकों को अधिक सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर इस दिशा में और अधिक काम करने की आवश्यकता है, ताकि भारत दुनिया में चिकित्सा क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण स्थान बना सके।

आखिरकार, यह कदम भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी जीत है, जो न केवल देश के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे विश्व में भारत की Medical Technology की शक्ति को भी स्थापित करेगा।

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