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अमेरिका (America) से हुआ करार, 2027 तक Electric बसों की भरमार

भारत का लक्ष्य है कि देश की सड़कों पर 2027 तक 50,000 इलेक्ट्रिक बसें (Electric Buses) हों। इस लक्ष्य को पूरा करने में अब अमेरिका साथ देने वाला है।

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Electric Buses
50 हजार Electric बसों को गति देगा अमेरिका

भारत इलेक्ट्रिक बसों (Electric Buses) की कीमत कम करने की दिशा में काम कर रहा है। सरकार की ओर से नया फंड मैकेनिज्म, मैन्युफैक्चरर्स के जोखिमों को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अमेरिकी सरकार और परोपकारी समूहों की ओर से 15 करोड़ डॉलर और भारत सरकार की ओर से 24 करोड़ डॉलर के साथ स्थापित किया गया है। भारत में वर्तमान में केवल 12000 ई-बसें चल रही हैं

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अमेंरिका ने बढ़ाया कदम

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों ने COP28 में एक साइड इवेंट में कहा कि 39 करोड़ डॉलर का फंड, उत्पादन बढ़ाने के लिए लोन चाहने वाले मैन्युफैक्चरर्स के लिए गारंटी के तौर पर काम करेगा।

भारत का लक्ष्य है कि देश की सड़कों पर 2027 तक 50,000 इलेक्ट्रिक बसें (Electric Buses) हों। इस लक्ष्य को पूरा करने में अब अमेरिका साथ देने वाला है। भारत ने अमेरिका के साथ 39 करोड़ डॉलर (करीब 3253.78 करोड़ रुपये) का एक जॉइंट फाइनेंस मैकेनिज्म डेवलप किया है। "

रिपोर्ट के अनुसार, पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म, अमेरिकी सरकार और परोपकारी समूहों की ओर से 15 करोड़ डॉलर और भारत सरकार की ओर से 24 करोड़ डॉलर के साथ स्थापित किया गया है। यह मैकेनिज्म भारत में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए फाइनेंशियल सिस्टम तैयार करने के लिए रिस्क मैनेजमेंट का आधार है।

‘ट्रांसपोटेशन एज सर्विस’ कॉन्सेप्ट (concept) खत्म

सरकार ने पहले “ट्रांसपोर्टेशन एज सर्विस” के कॉन्सेप्ट की पेशकश की थी। इसके तहत मैन्युफैक्चरर, पब्लिक एंटिटी को बसें किराए पर देते हैं और 12 वर्षों के लिए मासिक भुगतान लेते हैं। वैसे तो इससे स्थानीय अधिकारियों को लागत बढ़ाने और, अधिक बसें अफोर्ड करने की इजाजत मिली, लेकिन इससे आखिरकार उत्पादन में कमी आई। इसकी वजह थी कि व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स को संबंधित दीर्घकालिक ऋण को वहन करते समय अनिश्चित रिटर्न का सामना करना पड़ा।

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अब महंगी होंगी गाड़ियां

सरकार की ओर से नया फंड मैकेनिज्म, मैन्युफैक्चरर्स के जोखिमों को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। देश में वर्तमान में केवल 12000 ई-बसें चल रही हैं। भारत इलेक्ट्रिक बसों (Electric Buses) की कीमत कम करने की दिशा में काम कर रहा है।

एसी केबिन वाले ट्रक की अनिवार्यता

एक अन्य खबर के मुताबिक, भारत सरकार ने ट्रकों में एसी केबिन को अनिवार्य कर दिया है। इस बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, जिसमें कहा गया है कि 1 अक्टूबर 2025 या उसके बाद बनने वाले N2 और N3 कैटेगरी के वाहनों के केबिन में एयर कंडीशनिंग सिस्टम (एसी) लगाना होगा।

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अमेरिका और इलेक्ट्रिक बसें (Electric Buses)

2014 में, पहली प्रोडक्शन-मॉडल ऑल-इलेक्ट्रिक स्कूल बस कैलिफोर्निया की सैन जोकिन वैली में किंग्स कैन्यन यूनिफाइड स्कूल डिस्ट्रिक्ट में वितरित की गई थी। क्लास-ए स्कूल बस का निर्माण फ़ॉस्टर सिटी, कैलिफ़ोर्निया के मोटिव पावर सिस्टम्स द्वारा विकसित इलेक्ट्रिक पावरट्रेन नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करके ट्रांस टेक बस द्वारा किया गया था। यह बस जिले द्वारा आदेशित चार में से एक थी। एसएसटी-ई बसों के पहले दौर (जैसा कि उन्हें कहा जाता है) को आंशिक रूप से कैलिफोर्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड द्वारा प्रशासित एबी 118 वायु गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम द्वारा वित्त पोषित किया जाता है ।