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Durga Saptashati Argala Stotram: नवरात्र में अर्गला स्तोत्र के पाठ से मां दुर्गा करेंगी शत्रुओं का नाश

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Durga Saptashati Argala Stotram

Durga Saptashati Argala Stotram: सनातन धर्म में ग्रंथों का महत्व अत्यधिक है। इन ग्रंथों में से एक है श्री दुर्गा सप्तशती, जो देवी दुर्गा की महात्म्य को बताता है। इसमें देवी के रूप, उनकी शक्तियों और क्रोध का वर्णन है। इस ग्रंथ का पठन और अनुशासन साधकों को देवी के कदमों में आने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

देवी कवच के बाद, श्री दुर्गा सप्तशती में ‘अर्गला स्तोत्र’ (Durga Saptashati Argala Stotram) का उल्लेख है। इस स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है, जो साधकों को शक्ति, संयम, और सफलता की प्राप्ति में मदद करता है।

Durga Saptashati Argala Stotram

Durga Saptashati Argala Stotram के नियम और लाभ

अर्गला स्तोत्र (Durga Saptashati Argala Stotram) के पाठ के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं। इन नियमों का पालन करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और साधक को उनके चरणों में एकाग्रता प्राप्त होती है। इसके साथ ही, साधक को शक्ति और सफलता की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र (Durga Saptashati Argala Stotram) का पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस समय में मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो साधक को सफलता और सुख की प्राप्ति में मदद करता है। इसके अलावा, शत्रुओं का नाश होता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। नीचे श्लोक दिया गया है, आप इसका पाठ कर सकते हैं.

।। अथार्गलास्तोत्रम् ।। Durga Saptashati Argala Stotram

ॐ अस्य श्री अर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः अनुष्टुप छन्दः श्रीमहालक्ष्मीर्देवता

श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशती पाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ।

ॐ नमश्चण्डिकायै

।। अथार्गलास्तोत्रम् स्तोत्रम।।

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।। 1।।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तुते ।।2।।
ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है।

मधुकैटभविद्राविविधातृ वरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।3।।
महिषासुरनिर्णाशि भक्तनाम सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 4।।

रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनी।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।5 ।।
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनी।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 6।।

वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनी।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 7।।
अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 8।।

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 9।।
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वाम चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।। 10।।

चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 11।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 12।।

विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 13।।
विधेहि देवि कल्याणम् विधेहि परमां श्रियम।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 14।।

सुरसुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 15।।
विद्यावन्तं यशवंतं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 16।।

प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 17।।
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्र संस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 18।।

कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वत भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 19।।
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 20।।

इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 21।।
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 22।।

देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदये अम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 23।।
पत्नीं मनोरमां देहिमनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ।। 24।।

इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशती संख्या वरमाप्नोति सम्पदाम्। ॐ ।। 25।।

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Masala Cause Cancer: MDH और Everest के मसालों में जमकर धांधली, सेहत को लेकर कितना सुरक्षित है ये मसाला?

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Masala Cause Cancer: मसालों में पेस्टीसाइड के मामले में हाल ही में आई खबरें हॉन्ग-कॉन्ग और सिंगापुर की कुछ मसालों में हानिकारक केमिकल मिलने की हैं। इस घटना ने दुनिया भर में मसालों की सुरक्षा को लेकर लोगों में डर और चिंता पैदा की है।

अब भारत में भी इस विषय पर जांच की मांग हो रही है। बताया जा रहा है कि कुछ सैंपल्स में एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है, जो कैंसर के लिए खतरनाक माना जाता है। यहां जानिए क्यों और कैसे मसालों में ऐसे केमिकल्स मिलते हैं और इसका आपके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव हो सकता है।

Masala Cause Cancer

Masala Cause Cancer: खतरनाक पेस्टीसाइड इंग्रेडिएंट्स मिले मसालों में

हॉन्ग कॉन्ग के सेंट्रल फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने स्टोर्स से कुछ मसालों के सैंपल लेकर जांच की गई। इनमें एथिलीन ऑक्साइड पाया गया, जो कैंसर का कारण बन सकता है। इस खबर के मुताबिक, इन मसालों में शामिल हैं एमडीएच का मद्रास करी पाउडर, सांभर मिक्स्ड मसाला पाउडर, करी पाउडर मिक्स्ड मसाला और एवरेस्ट का फिश करी मसाला।

Masala Cause Cancer: कंपनियों रहें सावधान

इंटरनेशनल एंजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर एथलीन ऑक्साइड को टॉप-लेवल का कैंसर पैदा करने वाला केमिकल मानती है। फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, खाने में जितना पेस्टीसाइड होना सुरक्षित है, उतना ही अंश होना चाहिए। हालांकि कुछ कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को जल्दी खराब होने से बचाने के लिए अधिक मात्रा में ऐसे केमिकल्स मिला देती हैं। एथिलीन ऑक्साइड एक खतरनाक पेस्टीसाइड है जिसे खाने में इस्तेमाल करने तक की अनुमति नहीं है। इसे फसलों पर भी डाला जाता है।

Masala Cause Cancer

क्या है एथिलीन ऑक्साइड का प्रभाव?

हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि खाद्य में एथिलीन ऑक्साइड की थोड़ी सी भी मात्रा काफी हानिकारक होती है। हालांकि इसका प्रभाव तुरंत नहीं दिखता, लेकिन समय के साथ दिक्कतें सामने आती हैं। यूएस नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के मुताबिक, एथिलीन ऑक्साइड से लिम्फोमा और ल्यूकेमिया होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा पेट, ब्रेस्ट के कैंसर भी इस केमिकल की वजह से हो सकते हैं। एथिलीन ऑक्साइड डीएनए डैमेज करता है, जो कैंसर की वजह बन सकता है।

इस खबर (Masala Cause Cancer) के बाद भारत में भी मसालों के साथ सावधानी बढ़ा दी गई है। सरकारी अधिकारियों ने उपयुक्त जांच और नियमों के पालन की मांग की है, ताकि लोग स्वस्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या से बच सकें।

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Hanuman Janmotsav April 2024: शनि की हो जाएगी कृपा, हनुमान जन्मोत्सव पर करें ये सरल उपाय

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Hanuman Janmotsav April 2024

Hanuman Janmotsav April 2024: हिंदू धर्म के परंपरागत महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक, चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह एक उत्सव है जो हनुमान जी के जन्म के अवसर पर उनके भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास दिन पर भक्तों ने अनेक प्रकार के उपायों का पालन करते हुए, अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रार्थनाएं की।

इस वर्ष, दृक पंचांग के अनुसार, 23 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस महान उत्सव के दिन, शनि दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए कई विशेष उपायों का पालन किया जाता है। हनुमान जी की पूजा के साथ-साथ, शनि के अशुभ प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए, उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है, जिसमें काला तिल भी डाला जाता है। इसका माना जाता है कि यह उपाय शनि के प्रभावों को नष्ट करके जीवन में संतुलन और सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है।

Hanuman Janmotsav April 2024: हनुमान जन्मोत्सव पर कुछ विशेष उपाय

धन संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी, हनुमान जन्मोत्सव पर कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं। भक्तों द्वारा हनुमानजी को बेसन के लड्डू, लाल चोला, और चमेली के तेल का दीपक जलाया जाता है, साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। यह परंपरागत रीति-रिवाज धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है, और जीवन में आर्थिक संघर्षों को कम करती है।

Hanuman Janmotsav April 2024

आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए, हनुमान जन्मोत्सव के दिन भंडारा का आयोजन किया जा सकता है। धार्मिक मान्यता है कि गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और ईश्वरीय आशीर्वाद मिलता है। इस दिन भोजन कराने से भगवान हनुमान की कृपा मिलती है और वे सुख-समृद्धि के मार्ग पर अपने भक्तों को अग्रसर करते हैं।

Hanuman Janmotsav April 2024: हनुमान जी को लगाइए लड्डू का भोग

इस विशेष अवसर पर, सुंदरकांड का पाठ भी बड़ी श्रद्धा और भक्ति से किया जाता है। हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाया जाता है और परिजनों को लड्डू बांटे जाते हैं। साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है, जिससे संतान संबंधी समस्याओं का हल मिलता है और जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है।

इस बारे में भगवान हनुमान के प्रति भक्ति और श्रद्धा दिखाने वाले सभी भक्तों को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। आशा है कि उनकी प्रार्थनाएं सुनी जाएं और वे सभी आर्थिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करें।

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Chaiti Chhath 2024: खरना के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला उपवास

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Chaiti Chhath 2024

Chaiti Chhath 2024: छठ पर्व के रंग बिखरे पटना के गंगा घाटों पर, जहाँ शनिवार को व्रती भक्तों ने भगवान सूर्य और छठी मां को अपनी भक्ति और श्रद्धा का प्रकटीकरण किया। चैती छठ के दूसरे दिन शनिवार को पटना के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और खरना प्रसाद का भोग लगाया।

गंगा के पावन जल से तैयार किए गए खरना प्रसाद में गुड़, ईख के रस से बनी खीर, और स्वादिष्ट रोटी शामिल थी। श्रद्धालुओं ने इस प्रसाद को बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ लगाया।

इसके अलावा, व्रती लोगों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास भी आरंभ किया। सोमवार को, उदय होते ही वे सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा करेंगे।

Chaiti Chhath 2024: छठ के गीतों से गूंजी राजधानी

पटना के गंगा घाटों पर छठ पर्व का महामहिम और महत्त्व उसके उत्कृष्ट गानों और गीतों में दिखाई दिया। शनिवार की सुबह ही व्रती लोगों ने गंगा के तट पर खुशियों और भक्ति भरे गीत गाए।

व्रतियों की महत्त्वाकांक्षा को ध्यान में रखते हुए, गेहूं के आटे की मांग बढ़ी और इसकी प्राप्ति के लिए विशेष रूप से आटा चक्कियों में व्यवस्था की गई। इस दिन आटा चक्की में विशेष छठ के गेहूं को पिसने के लिए अत्यधिक आवश्यकता थी।

पंडित प्रेम सागर पांडेय ने बताया कि रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को प्राप्ति के बाद से पुनवर्स नक्षत्र में अर्घ्य देने का शुभ योग है। उन्होंने यह भी बताया कि सोमवार को उदय होने के बाद, व्रती लोग सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करेंगे।

Chaiti Chhath 2024

Chaiti Chhath 2024: नहाए खाए के दिन गंगा घाट पर दिखे श्रद्धालु

इस साल के छठ पर्व (Chaiti Chhath 2024) में श्रद्धालुओं का उत्साह और समर्पण अत्यधिक था। गंगा के तट पर देखे गए लोगों की संख्या इस बात का प्रमाण है कि यह पर्व लोगों के लिए कितना महत्वपूर्ण है और उनकी संगीन आस्था को कैसे दर्शाया जा सकता है।

सोमवार को उदासीन सूर्य को अर्घ्य देकर, छठ पर्व का आयोजन विधि-विधान के साथ समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस पर्व का त्योहारी माहौल और भक्ति अपनी छाप छोड़ जाएगी।

Dolly Chai Wala: Window 12 का Brand Ambassador बना Dolly, कहाँ से आई ये खबर?

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