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Gynophobia: एक अजीब बीमारी जो छीन लेती है पुरूषों की मर्दानगी, महिला को देखते ही छूटते हैं पसीना!
गाइनोफोबिया (Gynophobia) से प्रभावित कई पुरुष जहां सभी महिलाओं से डरते हैं, जो पुरुष महिलाओं से डरते हैं उनमें औसत से कम यौन इच्छा होती है

गाइनोफोबिया (Gynophobia) से प्रभावित कई पुरुष जहां सभी महिलाओं से डरते हैं, जो पुरुष महिलाओं से डरते हैं उनमें औसत से कम यौन इच्छा होती है । प्रभावित लोगों में से कुछ को महिलाओं के साथ यौन संपर्क में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं होती है। आंखों से संपर्क बनाए रखने में असमर्थता, महिला देखकर मौन या हकलाना,स्पर्श से डर जैसे प्राइमरी लक्षण हो सकते हैं, आएए जानते है Gynophobia के बारे में
आखिर क्या Gynophobia है ?
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार महिलाओं को लेकर पुरुषों में डर को गायनोफोबिया (Gynophobia) कहते हैं। जो पुरुष महिलाओं से अपमानित होते हैं, वह गायनोफोबिया के ज्यादा शिकार होते हैं।
पुरुष को लगता है कि महिला का सामना होने पर उसकी मर्दानी पहचान छिन जाएगी। दूसरे शब्दों में कहें तो पुरुष यह सोचकर डरता और कमजोर महसूस करता है कि कहीं स्त्री की नजर में वह कमजोर साबित न हो जाए।
ज्यादातर सेक्सोलॉजिस्ट का कहना है, ‘गायनोफोबिया की शुरुआत बचपन में ही हो जाती है। ऐसी माएं जो बच्चों की भावनाओं को नहीं समझती और उनको हमेशा डांट डपटकर रखती हैं, तो उनके अंदर महिला को लेकर एक तरह का डर घर करने लगता है। आगे चलकर वही डर यह रूप लेता है कि वह महिला से ही नफरत करने लगता है।’
Gynophobia पुरूष कैसे बनता है शिकार?
मर्दों में गायनोफोबिया एक खास किस्म का फोबिया है जो उसमें महिलाओं को लेकर होता है। जबकि महिलाएं ज्यादातर मामलों में खतरनाक नहीं होतीं। लेकिन फिर भी व्यक्ति महिला को देखकर चिंताग्रस्त हो जाता है या वह जाहिर करता कि वह महिला से दूर रहना चाहता है। पीड़ित व्यक्ति में गायनोफोबिया लंबे समय से चली आ रही समस्या है जिसमें उसकी पढ़ने-लिखने, रोजमर्रा के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है, यहां तक कि सामाजिक जीवन पर भी असर पड़ता है।

गायनोफोबिया (Gynophobia) का लक्षण
- महिलाओं को देखते या उनके बारे में सोचते ही तुरंत डर, चिंता में पड़ना और आतंकित होना।rawa
- यह जानते हुए कि डरने की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी उस डर पर काबू पाना मुश्किल होता है।
- स्त्री के नजदीक आते ही पुरुष का तनाव और स्ट्रेस का बढ़ जाना।
- गायनोफोबिया से ग्रस्त पुरुष ऐसे सामाजिक कार्यक्रमों में जाने से बचता है जहां उसे महिलाओं से सामना होने का डर हो। ऐसी स्थिति में वह घबरा जाता है।
- महिलाओं को लेकर डर की वजह से ऐसा व्यक्ति रोजाना के कामकाज में भी मुश्किल महसूस करता है।
- अगर बच्चे में गायनोफोबिया है तो वह किसी महिला के पास आने पर पिता से चिपक जाएगा, रोएगा और हाथ-पैर पटकने लगेगा।
गायनोफोबिया की चपेट में क्यों आता है व्यक्ति
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि गायनोफोबिया की कोई खास वजह नहीं होती, लेकिन कुछ बातें हैं जो इस फोबिया का कारण बनती हैं।
- महिलाओं से जुड़ा कोई पुराना बुरा अनुभव जैसे मेंटल या फिजिकल एब्यूज, नकारा जाना, सेक्शुअल हैरसमेंट, रेप और शारीरिक उत्पीड़न।
- कुछ लोग दूसरों के मुकाबले गायनोफोबिया की गिरफ्त में ज्यादा आते हैं।
- युवाओं में गायनोफोबिया जल्दी पनपता है। 10 साल की उम्र में यह फोबिया बच्चे को अपनी चपेट में ले लेता है।
- परिवार के सदस्य अगर फोबिया या तनाव ग्रस्त हैं तो उन्हें देखकर बच्चे में भी फोबिया पनपता है।
- उस व्यक्ति को फोबिया जल्दी अपनी गिरफ्त में लेता है जो ज्यादा संवेदनशील है, जिस पर बाहरी माहौल का जल्दी असर होता है।
- फ्रेंड, फैमिली मेंबर यहां तक कि किसी अजनबी का महिलाओं से जुड़ा बुरा अनुभव, जिसके बारे में पढ़ा हो या किसी ने बताया हो।
- जेनेटिक समस्याएं और पारिवारिक माहौल जिसमें माता-पिता और आसपास के लोगों के व्यवहार से सीखना।
निदान के लिए जागरूकता जरूरी
यह एक गंभीर समस्या नहीं लग सकता है, लेकिन यह पीड़ित व्यक्ति की नियमित गतिविधियों को बाधित कर सकता है और सामान्य जीवन जीना असंभव हो जाता है। इस फोबिया की कुछ जटिलताएँ होती हैं:
- सोशल आइसोलेशन: महिलाओं के डर से व्यक्ति न केवल सामाजिक समारोहों से बच सकता है, जहां महिलाएं उपस्थित हो सकती हैं, बल्कि वे एक ही कारण के लिए चिकित्सा उपचार लेने से भी बच सकता हैं।
- अवसाद: इस भय के साथ जुड़े आइसोलेशन अवसाद की भावनाओं को जन्म दे सकता है।
- ड्रग एडिक्शन: गाइनोफोबिया वाले लोग अपनी चिंता को नियंत्रित करने के लिए दवाओं या अन्य हानिकारक पदार्थों का सेवन शुरू कर सकते हैं।सी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
इलाज में अपनों का साथ अहम
गायनोफोबिया का इलाज एक्सपोजर थेरेपी, कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी, हिप्नोथेरेपी, ग्रुप थेरेपी, साइकोथेरेपी, कॉग्निटिव थेरेपी, दवाओं, मेडिटेशन आदि से किया जा सकता है। लेकिन इन ट्रीटमेंट से ज्यादा जरूरत इसमें अपने लोगों के सपोर्ट की होती है। अपनों का फिजिकल टच रिश्तों को मजबूत करता है। इसलिए जो समस्या से पीड़ित है, उसका हाथ पकड़े, हाथ पकड़कर साथ घूमें, चिपक कर बैठें वगैरह। यह उनको सहज होने में मदद करेगा।
- डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।