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Human death link with Fertility: ज्यादा सेक्स यानी जल्द मौत! फर्टलिटी बढ़ाने वाले जीन्स से जुड़ा है इंसानी मौत का मामला
Human death link with Fertility को लेकर हुए दिलचस्प शोध की माने तो संतान की पैदाइश को सुगम बनाने वाली जीन्स ही आपका काल बन सकती हैं!

Human death link with Fertility को लेकर हुए दिलचस्प शोध की माने तो संतान की पैदाइश को सुगम बनाने वाली जीन्स ही आपका काल बन सकती हैं!
बुढ़ापा और मौत के बीच जीन्स जिम्मेदार
Human death link with Fertility को लेकर वैज्ञानिक मानते हैं कि बुढ़ापे और प्रजनन के बीच संबंध पर लगातार दिलचस्प शोध हो रहे हैं। प्रजनन के लिए हमने जो विकास किया उसका संबंध हमारे बुढ़ापे से हो सकता है। ये लाखों-करोड़ों साल से चले आए प्राकृतिक प्रदत नतीजा है। इतना ही नहीं उत्पत्ति से जुड़ी पहेलियों में से एक शाश्वत है कि प्रजनन क्षमता खोते ही बुढ़ापे में हम ढह क्यों जाते हैं। दुनिया में सबसे पुख्ता जैव वैज्ञानिक डेटा जारी करने वाली यूके बायोबैंक (uk biobank) के 2,76,406 लोगों की जीनों का विश्लेषण वाले एक अध्ययन में पाया गया है, “प्रजनन को बढ़ावा देने वाली जीनों के वाहक लोगों में बुढ़ापे में बचने की संभावना कम होती है।“
प्रजनन को लेकर अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी प्रकाशित साइंस जर्नल मेसे जुड़ी वरिष्ठ लेखक जियानची चियांग कहती हैं, “हमारी एंटागोनिस्टिक प्लीओट्रोपी परिकल्पना कहती है कि प्रजनन को प्रोत्साहित करने वाले जीन म्युटेशनों में उम्र को कम करने की संभावना ज्यादा होती है।”
Human death link with Fertility: बुढ़ापा और प्रजनन (aging and reproduction)
हमारे जीन वैरियंट, सैकड़ों हजार साल के क्रमिक विकास का नतीजा हैं। ऐसे में जिन लोगों मे प्रजनन को प्रोत्साहित करने वाली जीन होती हैं उनमें 76 साल की उम्र तक आते आते, मरने की आशंका ज्यादा होती है। वैज्ञानिक कुछ समय से बुढ़ापे के जैविक लक्षणों पर माथापच्ची करते आ रहे हैं। लेकिन वस्तुतः ये अस्पष्ट है कि प्रजनन की हमारी क्षमता उम्र के साथ गिरती क्यों जाती है।
निश्चित ही बुढ़ापे में ज्यादा जनन-सक्षम होना विकासपरक नजरिए से लाभप्रद है, तो क्या इससे अपनी जीन्स को आगे बढ़ाने का हमें और समय मिल जाता है? हैरान करने वाली बात ये है कि इंसानों का स्वास्थ्य पहले की अपेक्षा कहीं बेहतर हुआ है, उसके बावजूद ये पैटर्न अभी भी कायम है।

सेक्स पर जलवायु परिवर्तन (climate change ) का असर
जीवविज्ञानियों का मानना है कि प्रजनन के नियमित चक्रों के लाभ, उम्र के साथ जनन सक्षमता खत्म हो जाने की स्थिति पर भारी पड़ सकते हैं। इसमें समस्या यही है कि माहवारी के बंद होने से बुढ़ापे की गति तेज हो जाती है। स्टीफन ऑस्टड कहते हैं, “दूसरा उदाहरण ये है कि एक जीन वैरियंट जनन सक्षमता को इतना बढ़ा देता है कि औरत को जुड़वा बच्चे पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। दूसरे अर्थ में इसका उलट भी उतना ही सच है। जीवन में शुरुआती दौर में जनन सक्षमता को घटाने वाले जीन वैरियंट के चलते व्यक्ति को कम बच्चे पैदा होंगे या एक भी नहीं होगा। लिहाजा व्यक्ति में बुढ़ापा धीरे धीरे आएगा।
Human death link with Fertility: बुढ़ापे पर पर्यावरण का असर?
वैसे इस प्रतिपक्षी प्लीओट्रोपी (adversarial pleiotropy) परिकल्पना की आलोचना भी हो रही है। एक आलोचना ये है कि ये परिकल्पना, बुढ़ापे पर पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक बदलावों के व्यापक प्रभावों को अपने विश्लेषण में शामिल नहीं करती। अध्ययन भी इस बारे में तटस्त है।
जैव वैज्ञानिक स्टीफन ऑस्टड कहते हैं, “पर्यावरणीय कारक इतने अहम है कि मैं वाकई हैरान हूं कि उनकी अहमियत के बावजूद इस अध्ययन में देखे गए पैटर्न बने रहे। मेरे ख्याल से अध्ययन में सैकड़ों हजारों लोगों को शामिल करने का फायदा है।”
निष्कर्षों का बुढ़ापे पर प्रभाव
Human death link with Fertility आधारित रिसर्च में कहा गया है, “आखिरकार, इनमें से कुछ वैरियंटों की अब जांच हो सकती है, ये देखने के लिए कि क्या जीवन के उत्तरार्ध में उनका किसी स्वास्थ्य समस्या से संबंध है या नहीं। इस तरह उन समस्याओं पर करीब से निगाह रखी जा सकती है और संभवतः उन्हें रोका भी जा सकता है।”
शोधकर्ता कहते हैं, “सैद्धांतिक तौर पर, उम्र बढ़ाने के लिए उन प्रतिपक्षी प्लीओट्रोपी (adversarial pleiotropy) वाले म्युटेशनों (mutations) में इधर-उधर थोड़ी मरम्मत की जा सकती है, लेकिन प्रजनन क्षमता में कमी या देरी का नुकसान भी साथ में जुड़ा है।”