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Munna Shukla के बयान को नए ढंग से क्यों समझा रहे हैं उनके लोग?
रहीम का एक दोहा है,
सबै सहायक सबल के, कोऊ न निबल सहाय
पवन जगावत आग को, दीपही देत बुझाय..
दोहे का ठेठ अर्थ यह निकाला जा सकता है कि बलवान आदमी के साथ सब दही में सही मिलाने ही लगते हैं. आपके गाल पर तमाचा पड़े और आप ही के नेता बोले कि हमको कुछ जानकारिये नहीं है तो फिर सामाजिक समानता की लड़ाई में आप कहाँ हैं ये आप खुद सोचिये?
बीते दिनों वैशाली लोकसभा सीट से महागठबंधन के उमीदवार अन्नू शुक्ला के पति मुन्ना शुक्ला की जुबान फिसल गयी. आवेश या भावावेश में उन्होंने रविदास जाति के लोगों के लिए ऐसे लहजे का इस्तेमाल किया, जो उन्हें दुतकारता है, जो उन्हें अपने से हीन साबित करता है.
Munna Shukla के बयान का मतलब क्यों समझा रहे हैं तंत्र?
प्रचारित किया जा रहा है कि जाति का नाम लिया था, इसके अलावा और कुछ नही.
एक बात सोचिये, अमूमन बोलचाल की भाषा में कुछ चर्चित लाइन है जो आप भी इस्तेमाल करते होंगे. जैसे- हमको गदहा समझा है का रे…. दुसरा, हम आदमी है, जानवर थोड़े हैं….
जब इस लाइन का मतलब आप तब वही समझते थे, जो इसका वास्तविक अर्थ है, तो फिर अब उस लाइन का नया “मतलब” आपको क्यों समझाया जा रहा है. हम आदमी हैं जानवर थोड़े है.. इसमें आदमी को श्रेष्ठ कहा गया है या जानवर को…आप ही जवाब दे दीजिये. खैर माफीनामा आ गया है लेकिन सवाल ये है कि इतना समझाया क्यों जा रहा है?
दलित नेता को इसकी जानकारी ही नहीं, झाड़ लिया पल्ला
बीते दिनों राजद के बड़े नेता, हाजीपुर से महागठबंधन के उम्मीदवार शिवचन्द्र राम जी लालगंज आये थे. हमने उनसे पूछा कि दलित वोट की बात आप करते हैं, चिराग पासवान जैसा बड़ा चेहरा मोदी जी के साथ है, समय समय पर मोदी जी दलितों के पांव धोते हैं, उनपर पुष्प वर्षा करते हैं, उनके लिए वो करते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरव की बात है… फिर आपको क्यों लगता है दलित महागठबंधन के साथ जाएगा. जवाब में शिवचंद्र राम जी लालू जी के नब्बे के दशक के एहसानों को गिनवाने लगते है, लेकिन जैसे ही हम अगला सवाल पूछते हैं कि मुन्ना शुक्ला के उस बयान पर आपको क्या कहना है, तो उनका जवाब आता है कि अभी उन्होने वो बयान देखा नही है।
पूरे देश में वायरल होने के बाद, सभी राज्यों से उसपर तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद, बड़े-बड़े चैनलों पर चलने के बाद…. ट्विटर पर ट्रेंड करने के बाद और इस बात को तीन दिन बीत जाने के बाद भी यदि दलितों के सबसे बड़े नेता को दलितों के बारे में कहे गए अशोभनीय शब्दों की जानकारी तक न हो तो… तो फिर आप अपने पिछड़ेपन के लिए किसी और को दोष काहे देते हैं? यहां तो दलित नेता ही तीन दिन Delay चल रहे हैं, ये ना दिख रहा है आपको? एक बच्चा भी बता देगा कि आम बोलचाल की भाषा में .. हम आदमी हैं, जानवर थोड़े हैं… इसमें कौन नीचा है?
खैर, जवाब कई हो सकते थे, ये भी कहा जा सकता था कि माफ़ी मांग ली है. लेकिन ये तो दलितों के स्वाभिमान से पल्ला ही झाड़ गए. और फिर कहते हैं कि दलित महागठबंधन के साथ है. मतलब लालटेन का गमछा बाँध के कोई भी दलितों को हीन, दूषित और समाज की सबसे ओछी शब्दावली से संबोधित कर के चला जाएगा और आप पार्टी लाइन में बैठकर यही कहेंगे कि आपको जानकारी नहीं है.
सीधा मतलब है, महागठबंधन दलितों का इस्तेमाल सिर्फ वोट लेने के लिए कर रहा है. अगर यही शब्द किसी भाजपा वाले ने बोले होते.. फिर देखते सड़कों पर तमाशा…. भाजपा विधायक का वो बयान, लालगंज अपराधियों की धरती है, पर क्या बवाल मचाया था महागठबंधन वालों ने याद है न?
Lalu Yadav के धुर विरोधी अचानक करने लगे चरण वंदना
जो लोग कल तक भगवा भांज रहे थे, वो अचानक से लालू यादव के फैन हो गए है… क्योंकि जनता बेवकूफ हैं या उन्हें ऐसा लगता है कि जनता को बेवकूफ बना सकते हैं. जंगल राज में कानून व्यवस्था का क्या हाल था ये किसी से छुपा नहीं है. जनता की जहाँ तक बात की जाए.. मैंने पहले भी कहा था… कोई ये नही चाहता कि मेरे यहाँ ऐसा सांसद बने जिसे केंद्र में विपक्ष में बैठना पड़े और हर योजना के लिए ये बहाना सुनना पड़े केंद्र में सरकार नहीं है तो क्या करे.. सबको पता है मोदी जीतेंगे… तो संसद उनका ही क्यों न हो, ये चुनाव ने सबसे बड़ा फैक्टर होगा.
माफीनामा आया है अच्छी बात है, माफी तो मोदी जी ने किसानों से भी मांग ली थी, महागठबंधन वाले तो आज भी किसानों की मौत का जिम्मेदार मोदी जी को ही मानते हैं? चुनावी समर में ये वाली माफ़ी बड़ी जल्दी स्वीकार हो गयी, और महागठबंधन के नेता को तो कुछ मालूमे नहीं है, क्या चुनाव लड़ेंगे वो हाजीपुर चिराग पासवान के सामने, जो दलितों के सम्मान में दो शब्द मुखरता से नहीं बोल सकते?
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Sushil Kumar Modi: राजीनीति का वह सितारा जिसने बिहार में बीजेपी को स्थापित करने में निभाई अहम् भूमिका
Sushil Kumar Modi, बिहार की राजनीती का एक बड़ा चेहरा बीजेपी के कदावर नेता जिन्होंने बिहार में बीजेपी को स्थापित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई आइये आज के लेख में हम सुशील मोदी से जुडी बातो को जानते है।
Sushil Kumar Modi की पारिवारिक पृष्टभूमि
सुशील कुमार मोदी जन्म ५ जनवरी १९५२ को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। पिता का नाम मोती लाल मोदी , माता का नाम रतना देवी था।
पत्नी ईसाई धर्म को मानने वाली है तथा पेशे से कालेज प्रोफेसर है, उनके दो बेटे है, एक का नाम उत्कर्ष तथागत और दुसरे का नाम अक्षय अमृतांशु है।
सुशील मोदी का राजीनीतिक सफर
सुशील कुमार मोदी के राजनितिक सफर की बात करे तो १९९० में वह सक्रिय राजनीती में शामिल हो गए थे और सफलतापूर्वक पटना केंद्रीय विधान सभा (जिसे अब कुम्हार विधान सभा निर्वाचन छेत्र के रूप में जाना जाता है ) से चुनाव लड़ा , १९९० में उन्हें फिर से निर्वाचित किया गया
था, १९९० में ही उन्हें भाजपा बिहार विधान सभा दाल का मुख्य सचेतक बनाया गया था। १९९६ से २००४ तक वह राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने पटना हाई कोर्ट में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जिसे बाद में चारा घोटाला के रूप में जाना गया था। २००४ में वह भागलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा के सदस्य बने। वह २००० में अलपकालिक नितीश कुमार की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे ,सुशिल ने झारखण्ड राज्य के गठन का समर्थन किया था।
2005 में सुशील कुमार बने थे उपमुख्यमंत्री
२००५ में Sushil Kumar Modi बिहार बीजेपी विधानमंडल पार्टी के नेता चुने गए। बाद में लोकसभा से इस्तीफा दे कर बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। कई अन्य विभागों के साथ उन्हें वित्त पोर्टफोलियो दिया गया यह। २०१० में बिहार चुनावो में एनडीए की जीत के बाद वह बिहार के उपमुख्यमंत्री बने रहे।
बिहार की राजनीती में करीब पांच दशक से अलग- अलग भूमिका निभाने वाले सुशील कुमार मोदी अंततः कैंसर से जंग हर गए और १६ मई दिन सोमवार को उन्होंने अंतिम साँस ली। सुशील कुमार मोदी का जाना ,बिहार की राजनितिक गलयारो में एक शून्य पैदा कर जाना है जिसे शायद ही कोई दोबारा भर सके।
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PM Modi share the post of Rashmika Mandanna: पीएम मोदी ने Animal की हीरोइन के पोस्ट को क्यों किया शेयर? पढ़ें क्या क्या लिखा
Pm Modi share the post of Rashmika Mandanna: पीएम नरेंद्र मोदी अक्सर किसी सेलेब्रिटी के वीडियो को Share करते हैं या उसके पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हैं. पीएम मोदी फिर एक बार एक फिल्म अभिनेत्री के पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है दरअसल. पीएम नरेंद्र मोदी ने फिल्म अभिनेत्री Rashmika Mandanna की एक Post पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
PM Narendra Modi ने Rashmika Mandanna के वीडियो पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा
पीएम नरेंद्र मोदी ने Rashmika Mandanna के वीडियो पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि लोगों को जोड़ने और उनके जीन को बेहतर बनाने से उन्हें संतुष्टि मिलती है. दरअसल, रश्मिका ने हाल ही में बने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पर एक वीडियो शूट किया और इसकी तारीफ की. इस हार्बर लिंक को अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु नाम दिया गया है. Rashmika Mandanna ने अटल सेतु की तारीफ करते हुए बताया कि जहां एक जगह-दूसरी जगह जाने में 2 घंटे लगते थे, अब 20 मिनट में पहुंच सकते हैं.
Rashmika Mandanna ने अपने वीडियो में यह कहा
Rashmika Mandanna ने ये भी कहा कि यह किसी समुद्र पर बना सबसे लंबा पुल है, जोकि 22 किलोमीटर का है. इसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था. उन्होंने इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार बताया. रश्मिका ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “दक्षिण भारत से उत्तर भारत… पश्चिम भारत से पूर्वी भारत… लोगों को जोड़ रहे हैं, दिलों को जोड़ रहे हैं! हैशटैग मेरा भारत.
Rashmika Mandanna की पोस्ट PM Modi ने शेयर की
Rashmika Mandanna के इसी Post को Share करते हुए PM Modi मोदी ने लिखा,”सही कहा! लोगों को जोड़ने और जीवन को बेहतर बनाने से ज्यादा संतोषजनक कुछ भी नहीं.” रश्मिका और पीएम मोदी के बीच हुआ यह इंटरेक्शन हुआ. अपने वीडियो में रश्मिका ने यह भी कहा, ”अटल सेतु ने भविष्य के दरवाजे पर इतनी जोरदार दस्तक दी है कि विकसित भारत के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं.
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Tejashwi Yadav Election Campaign: 30 दिन में 97 सभा: “हेलीकॉप्टर को ट्रैक्टर बनाकर ब्लॉके-ब्लॉक उतार रहे हैं”
Tejashwi Yadav Election Campaign: बिहार में लोकसभा चुनाव के महत्वपूर्ण मोड़ पर महागठबंधन के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने प्रचार में बड़ा दम दिखाया है। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बिहार के कई भागों में प्रचार रैलियों का आयोजन किया है। तेजस्वी यादव ने इस दौरान हेलिकॉप्टर को ट्रैक्टर बना दिया है और जनता के बीच अपना संदेश पहुंचाने का काम किया है।
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने एक चुनावी रैली में बताया कि उन्होंने सिर्फ 30 दिनों में 97 रैलियां की हैं। उनकी धुआंधार प्रचार और दिन-रात की मेहनत से उनके विरोधी भी चौंके हुए हैं। वे एक ही दिन में तीन से चार, और कभी-कभी 6-7 सभाओं को संबोधित कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने पूर्णिया से अपना चुनावी प्रचार शुरू किया और इसके बाद वे गया, जमुई, नवादा, बेगूसराय, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी, औरंगाबाद, खगड़िया, बांका, दरभंगा, उजियारपुर, वाल्मीकि नगर और अन्य कई स्थानों पर रैलियां की। इस दौरान तेजस्वी यादव का साथी और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी उनके साथ नजर आए।
बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में 1 मई तक वोटिंग होगी। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ, जिसमें तेजस्वी यादव ने 46 सभाओं को संबोधित किया। हाल ही में सहरसा जिले के सोनबरसा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने अपनी तैयार हेलिकॉप्टर को ट्रैक्टर बताते हुए कहा कि वे उसे भी चुनावी प्रचार के काम में लगा दिया हैं।
हालांकि, लगातार चुनावी जनसभाओं करते रहने से तेजस्वी यादव की तबियत भी बिगड़ने लगी है। अररिया के फारबिसगंज में चुनावी प्रचार के दौरान उन्हें कमर में दर्द होने की शिकायत हुई और उन्हें तुरंत मंच से कार में ले जाया गया।
विश्वास की जाती है कि तेजस्वी यादव द्वारा यह अद्वितीय प्रचार रणनीति महागठबंधन को चुनावी मैदान में एक मजबूत रूप देगी और उन्हें वोटर्स की ओर से बड़ा समर्थन प्राप्त होगा।
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