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Myanmar and Thailand में आया शक्तिशाली Earthquake: 1000 से अधिक मौतें, भारत ने भेजी “Operation Brahma” के तहत मदद

Myanmar and Thailand में आया शक्तिशाली Earthquake, 1000 से अधिक लोगों की मौत; भारत ने “Operation Brahma” के तहत राहत कार्यों में बढ़ाई मदद
New Delhi/Yangon:
29 मार्च 2025 को Myanmar and Thailand में आई Earthquake की घटना ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। म्यांमार के एक सैन्य नेता के अनुसार, इस शक्तिशाली भूकंप में मरने वालों की संख्या 1000 से अधिक हो चुकी है, जबकि अमेरिकी एजेंसियों ने आशंका जताई है कि मृतकों की संख्या 10,000 से ज्यादा हो सकती है। भूकंप के बाद बचाव कार्यों में जुटे अधिकारी और राहत कर्मी मलबे के ढेर के नीचे दबे हुए लोगों को निकालने के प्रयासों में लगे हैं। वहीं भारत ने भी राहत कार्यों में अपना योगदान देते हुए “ऑपरेशन ब्रह्मा” शुरू किया और म्यांमार को मदद भेजी।
Earthquake का समय और तीव्रता
Myanmar के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और आसपास के क्षेत्रों में 29 मार्च की दोपहर को 7.7 तीव्रता का Earthquake आया। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसके झटके 900 किलोमीटर दूर स्थित बैंकॉक, थाईलैंड तक महसूस किए गए। भूकंप के परिणामस्वरूप कई ऐतिहासिक इमारतें, पुल और अन्य संरचनाएं ढह गईं। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, जैसे मेघालय और मणिपुर के साथ-साथ बांग्लादेश और चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
Myanmar में राहत कार्य और भारतीय मदद
Myanmar में इस Earthquake के बाद पूरे देश में भारी तबाही मच गई। म्यांमार के सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को घोषणा की कि भूकंप में अब तक 1002 लोगों की मौत हो चुकी है और 2376 लोग घायल हो चुके हैं। राहत कार्य में मलबे के बीच से जीवित लोगों को निकालने के लिए बचाव दलों ने पूरी मेहनत की है, लेकिन सड़कों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई स्थानों तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है।
भारत ने Earthquake प्रभावित म्यांमार की मदद के लिए तत्काल राहत सामग्री भेजी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य प्रमुख जनरल मिन आंग ह्लाइंग से फोन पर बात की और भारत की ओर से संवेदनाएं व्यक्त करते हुए सहायता का प्रस्ताव दिया। इसके बाद, भारतीय वायु सेना ने 15 टन राहत सामग्री, जिसमें सौर लैंप, भोजन के पैकेट और रसोई सेट शामिल थे, म्यांमार भेजी।
इसके अलावा, भारत ने 80 एनडीआरएफ टीमों को विशेष गियर और खोजी कुत्तों के साथ म्यांमार के नेपीता भेजा, ताकि वे मलबे के नीचे दबे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल सकें। भारतीय नौसेना के जहाज, आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री भी 40 टन मानवीय सहायता लेकर यांगून की ओर रवाना हो चुके हैं।
Thailand में भी मची तबाही
Myanmar के अलावा, थाईलैंड में भी Earthquake के भयंकर प्रभाव महसूस किए गए। बैंकॉक में एक गगनचुंबी इमारत ढह गई, जिससे 9 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही, बैंकॉक में शहरभर में 2000 से अधिक इमारतों में संरचनात्मक दरारें आई हैं। बैंकॉक के गवर्नर चाडचार्ट सिट्टीपंट ने इस घटना की जानकारी दी और बताया कि सभी निर्माणाधीन इमारतों में कुछ न कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन पूरी तरह से बने इमारतों में कोई संरचनात्मक विफलता नहीं हुई है।
Thailand सरकार ने इस आपदा के बाद बचाव कार्यों के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है और शहर में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। बैंकॉक के अधिकारियों ने यह भी बताया कि मलबे के नीचे 40 से अधिक लोग फंसे हो सकते हैं। फिलहाल, बचाव दल को कुछ और लोगों से संकेत मिले हैं और वे तेजी से बचाव कार्य कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मदद और प्रतिक्रिया
Myanmar में Earthquake के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से मदद का सिलसिला भी जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसएआईडी के माध्यम से म्यांमार को राहत भेजने का ऐलान किया, जबकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) ने भी म्यांमार को मदद देने की प्रतिबद्धता जताई है। आसियान के एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि संगठन म्यांमार को राहत सामग्री और सहायता भेजने के लिए मिलकर काम करेगा।
Myanmar में बिजली और पानी की गंभीर स्थिति
Myanmar , जो पहले से ही गृहयुद्ध से जूझ रहा है, अब Earthquake के बाद बिजली और पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहा है। म्यांमार के जुंटा प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने एक दुर्लभ वैश्विक अपील में कहा है कि म्यांमार में विदेशी सहायता के लिए सभी दरवाजे खुले हैं और उन्हें किसी भी देश, संगठन या व्यक्ति से मदद की आवश्यकता है।
चीन और रूस ने पहले ही म्यांमार में राहत सामग्री और बचाव दल भेजने की घोषणा की है, और अब अन्य देशों से भी मदद की उम्मीद की जा रही है।
भविष्य में Earthquake का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि म्यांमार मेंEarthquake के झटकों की संभावना बनी रहती है क्योंकि यह क्षेत्र सक्रिय सागाइंग फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जहाँ 1946 और 2012 में भी शक्तिशाली Earthquake आए थे। इस वजह से म्यांमार के लोग भविष्य में और भी भूकंपों के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी जा रही है।
Myanmar and Thailand में आए इस शक्तिशाली Earthquake ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है और इस आपदा ने लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है। राहत कार्यों में भारतीय सेना और अन्य देशों ने तेजी से मदद भेजी है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या में और वृद्धि नहीं होगी। इस Earthquake से भले ही म्यांमार और थाईलैंड में भारी तबाही हुई हो, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद से स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
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