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Supreme Court disposed record cases: SC ने 2023 में निपटाए रिकॉर्ड 52 हजार मामले, बीते 6 साल में सबसे अधिक; 80 हजार Case अब भी लंबित
Supreme Court में लंबित मामलों के निपटारे ने नई ऊंचाई छू ली, क्योंकि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ समेत 34 न्यायाधीशों ने इस साल देश भर से शीर्ष अदालत में दर्ज 49,191 मामलों की तुलना में 52,191 मामलों का निपटारा किया।

Supreme Court disposed record cases को निपटाने के लिए साल 2023 को याद किया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट में इस साल 52,191 मामलों का निपटारा हुआ। जहां एक तरफ इस उपलब्धि की सराहना की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ यह चिंता भी व्यक्त की जा रही है कि अभी भी करीब 80,000 मामले लंबित पड़े हैं।
Supreme Court disposed record के आंकड़े
Supreme Court में लंबित मामलों के निपटारे ने नई ऊंचाई छू ली, क्योंकि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ समेत 34 न्यायाधीशों ने इस साल देश भर से शीर्ष अदालत में दर्ज 49,191 मामलों की तुलना में 52,191 मामलों का निपटारा किया। पिछले साल, SC ने 36,565 दायर मामलों के मुकाबले 39,800 मामलों का निपटारा किया था। 1 जनवरी से 15 दिसंबर 2023 तक उपलब्ध आंकड़ों से पता चला है कि मामलों का निपटान, जो 2020 और 2021 के दो कोविड प्रभावित वर्षों में घटकर 20,670 और 24,586 हो गया था, अब बढ़ गया है, 2022 में 39,800 मामलों की स्वस्थ संख्या दर्ज की गई और 52,191 तक तेजी से वृद्धि दर्ज की गई।
Supreme Court की कोशिशों का नतीजा
Supreme Court disposed record वाले मामले को लेकर जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, 1 जनवरी 2023 से 15 दिसंबर 2023 के बीच 4,410 सेवा मामले, 11,489 आपराधिक मामले और 10,348 सिविल मामले निपटाए गए।
“जमानत, बंदी प्रत्यक्षीकरण, बेदखली के मामले, विध्वंस और अग्रिम जमानत जैसे कुछ मामलों में मामलों को एक दिन में संसाधित किया गया और उसके तुरंत बाद उच्चतम स्तर पर स्वतंत्रता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए अदालतों में सूचीबद्ध किया गया… विशेष पीठों का गठन किया गया मामलों की विशिष्ट श्रेणियों को संभालने के लिए, जिससे अधिक विशिष्ट और कुशल न्यायनिर्णयन प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।”
सुनियोजित कोशिशों का नतीजा
जानकारों का मानना है कि अदालत की प्रणाली से कोविड का असर खत्म करने की कोशिशें 2022 में शुरू की गई थी। इन कोशिशों को एक एक कर तीन मुख्य न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति एनवी रमना, यूयू ललित और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़) के कार्यकाल में आगे बढ़ाया गया।
इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम के मुताबिक इस साल दर्ज होने वाले मामलों की कुल संख्या थी 49,191। इस प्रणाली को 2017 में शुरू किया गया था, जिसके बाद 2018 में 37,470 और 2019 में 41,100 मामलों को निपटाया गया। और 2020 में सिर्फ 20,670 और 2021 में सिर्फ 24,586 मामलों का निपटारा हुआ था।
2022 से प्रयासों में दिखी प्रगति
सुप्रीम कोर्ट समेत देश की सभी अदालतों में लंबित मामलों की सूची लंबे समय से भारत की न्याय व्यवस्था के लिए चिंता का विषय रही है। हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान मामलों के निपटारे की गति विशेष रूप से नीचे गिर गई थी। साल 2022 में इस मामले में थोड़ी प्रगति दिखाई दी थी और अब जा कर 2023 में संख्या में काफी बड़ा उछाल दर्ज किया गया है।
हालांकि देश की सभी अदालतों की ही तरह सुप्रीम कोर्ट के सामने भी अभी भी काफी बड़ी चुनौती है। केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी भी सुप्रीम कोर्ट में 79,774 मामले लंबित हैं। 2014 से 2022 के बीच लंबित मामलों की संख्या 11.13 प्रतिशत बढ़ी ही है, घटी नहीं है। इनमें 14,840 मामले पांच से 10 सालों से लंबित पड़े हैं और 4,735 मामले 10 से 20 सालों से लंबित पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट के अलावा सभी हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सबऑर्डिनेट कोर्ट में भी बड़ी संख्या में मामले लंबित पड़े हैं। सिर्फ सभी उच्च अदालतों में ही दिसंबर, 2022 तक 60 लाख से ज्यादा मामले लंबित थे।
सभी अदालतों को मिला कर बड़ी संख्या
सीजेआई न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कुछ और कदम उठाए, जैसे मामलों के दर्ज होने से पहली सुनवाई की तारीख मिलने के बीच की अवधि को कम करना। सुप्रीम कोर्ट ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल में इस अवधि को 10 दिनों से पांच से सात दिनों के बीच ला दिया गया। हालांकि देश की सभी अदालतों की ही तरह सुप्रीम कोर्ट के सामने भी अभी भी काफी बड़ी चुनौती है। केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी भी सुप्रीम कोर्ट में 79,774 मामले लंबित हैं।